Tuesday, 19 May 2020

USES OF JAMUR OR JAMBOOR

जमूर या जंमबूर

 जमूर के नाम से ही पता चल जाता है कि जम के पकडना। जमूर जिंदरी में से तार और पाइप खींचने के लिए उपयोग किया जाता है।  इसकी पकड मजबूत होनी चाहिए। इसके मुँह में  जहाँ  से पकड बनती है, वहां पर छोटे-छोटे  कट लगे होने के कारन इसमें से असानी से कोई भी बनाए जाने वाला जेवर जल्दी से फिसलता नही है।  तारे खीचने के लिए छोटे जमूर का अगर तार मोटी हो तो मोटे जमूर का और जहाँ पाइप खींचना हो वहां  बडे जमूर का  उपयोग किया जाता है।  
बाली बनाने के लिए जब जिंदरी में से पाइप को निकलना होता है, तब जमूर की पकड मजबूत न ​​होने के कारन पाइप जमूर से फिसल कर टूट सकता है जो कि  वेसटेज का कारन बनता है। इसीलिए  बाली बनाते समय उपयोग होने वाले जमूर के मुंह में कट सही लगे होने चाहिए। ताकि सोना वेस्ट ना हो। 
जब कोई कारीगर नगों वाला गहना बनाता है और उसमें नग को पकडने के लिए जो पाइप बनाया जाता है (कलोंच पाइप), वो बहुत मोटा बनाना पडता है। इस मोटे पाइप को खीचने के लिए यू कट वाला जमूर और उसको पकड कर खीचने वाला अड्डा  बहुत ज़रूरी  होता है कयोंकि हाथ से इस जमूर पर पकड अच्छी तरह से नहीं होती है।

JAMUR OR JAMBOOR {PLIERS}

It is known by the name of Jamur that the arrest of Jamur. Jamur is used to pull wires and pipes out of draw plate. Its grip should be strong. Due to the small cut in the mouth from where the catch is made, no jewelry made from it is easily slipped from it. If the wire of the small jamur is thick to pull the stars, then the thick jamur is used and the big jamur is used where the pipe is to be pulled.

When the pipe has to come out of the draw plate to make the earring, the pipe may slip and break from the jamur due to the strong grip of the jamur, which becomes the reason for the waste. That is why the cut made in the mouth of the jamur used while making the earring should be correct. So that gold is not waste.

When an artisan makes a jewel with nudes and the pipe made to hold the nuggets in it (Clonech pipes), it has to be made very thick. To cut this thick pipe it is very important to have a U-cut jamur and the base to hold it because it does not hold well on the jamur by hand.


INDIAN BRAND TANISHQ


 



क्या आप जानते हैं कि तनिष्क भारत का पहला ज्वेलरी ब्रांड हैं। यह टाटा कंपनी का एक हिस्सा है। अगस्त 1992 में पहला प्रोडक्शन प्लांट शुरू किया गया और तनिष्क का पहला स्टोर 1996 में खुला। तनिष्क के पहले वर्षों ने लगातार नुकसान दर्ज किया। 2000 में, प्रबंध निदेशक ज़ेरक्सस देसाई ने उन्हें सफल बनाने के लिए भास्कर भट को चुना। 2000 में शुरू होने के साथ, इसका शुद्ध मूल्य बढ़ने लगा और 2003 तक, तनिष्क भारत के शीर्ष 5 खुदरा विक्रेताओं में से एक था, और टाइटन समूह के राजस्व का 40% हिस्सा बना। तनिष्क ने फेमिना मिस इंडिया 2007 के लिए सौंदर्य प्रतियोगिता का ताज बनाया। 2008 तक, तनिष्क के भारत के 71 शहरों में 105 स्टोर थे। 2011 में, तनिष्क समूह ने कामकाजी महिलाओं के लिए मिया नामक उप-ब्रांड का शुभारंभ किया। नवंबर 2012 में तनिष्क एक ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचा, जब उसने भारत में अपना 150 वां शोरूम खोला।
Do you know that Tanishq is the first jewelry brand in India. It is a part of the Tata company.
The first production plant was started in August 1992 and Tanishq's first store opened in 1996. The first years of Tanishq recorded steady losses. In 2000, managing director Xerxus Desai chose Bhaskar Bhat to succeed him. Starting in 2000, its net worth began to grow and by 2003, Tanishq was one of the top 5 retailers in India, and made up 40% of the Titan Group's revenue. Tanishq crowned the beauty pageant for Femina Miss India 2007. As of 2008, Tanishq had 105 stores in 71 cities in India. In 2011, Tanishq Group launched a sub-brand for working women called Mia. Tanishq reached a landmark in November 2012, when it opened its 150th showroom in India.

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